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Showing posts from April, 2010
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है-२ ये उठे सुबह चले, ये झुखे शाम ढले, मेरा जीना मेरा मरना इन्ही पल्कोंके तले, तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है पल्कोंके गलियों में चेहरे बहारों के हँसते हुए है मेरे खवाबों के क्या क्या नगर इन में बसते हुए पल्कोंके गलियों में चेहरे बहारों के हँसते हुए ये उठे सुबह चले , ये झुखे शाम ढले , मेरा जीना मेरा मरना इन्ही पलकों के तले , तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है इनमे मेरे आनेवाले ज़माने की तस्वीर है चाहत के काजल से लिखी हुई मेरी तकदीर है तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है-२ ये उठे सुबह चले, ये झुखे शाम ढले, मेरा जीना मेरा मरना इन्ही पल्कोंके तले, तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है