कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं. एक दोस्त है कच्चा पक्का सा, एक झूठ है आधा सच्चा सा. ज़ज्बात को ढके एक पर्दा बस, एक बहाना है अच्छा सा. जीवन का एक ऐसा साथी है, जो दूर हो के पास नहीं. कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं. हवा का एक सुहाना झोंखा है, कभी नाजुक तोह कभी तुफानो सा. सकल देख कर जो नज़रें झुका ले, कभी अपना तोह कभी बेगानों सा. जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र, जो समंदर है, पर दिल को प्यास नहीं. कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं. एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है, यादों में जिसका एक धुन्धला चेहरा रह जाता है. यूह तोह उसके न होने का कुछ गम नहीं, पर कभी-कभी आँखों से अनसु बन के बह जाता है. यूह रहता तोह मेरे तस्सवुर में है, पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं. कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं... Narender Kumar
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Showing posts from 2010
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होंटों से छू लो तुम , मेरा गीत अमर कर दो बन जाओ मीत मेरे , मेरी प्रीत अमर कर दो होंटों से छू लो तुम , मेरा गीत अमर कर दो न उम्र की सीमा हो , न जन्म का हो बंधन जब प्यार करे कोई , तो देखे केवल मनन नयी रीत चलाकर तुम , यह रीत अमर कर दो आकाश का सूनापन , मेरे तन्हा मन में पायल छनकाती तुम , आ जाओ जीवन में सांसें देकर अपनी , संगीत अमर कर दो संगीत अमर कर दो , मेरा गीत अमर कर दो जग ने छीना मुझसे , मुझे जो भी लगा प्यारा सब जीता किये मुझसे , मैं हर दम ही हारा तुम हारके दिल अपना , मेरी जीत अमर कर दो होंटों से छू लो तुम , मेरा गीत अमर कर दो
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तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है-२ ये उठे सुबह चले, ये झुखे शाम ढले, मेरा जीना मेरा मरना इन्ही पल्कोंके तले, तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है पल्कोंके गलियों में चेहरे बहारों के हँसते हुए है मेरे खवाबों के क्या क्या नगर इन में बसते हुए पल्कोंके गलियों में चेहरे बहारों के हँसते हुए ये उठे सुबह चले , ये झुखे शाम ढले , मेरा जीना मेरा मरना इन्ही पलकों के तले , तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है इनमे मेरे आनेवाले ज़माने की तस्वीर है चाहत के काजल से लिखी हुई मेरी तकदीर है तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है-२ ये उठे सुबह चले, ये झुखे शाम ढले, मेरा जीना मेरा मरना इन्ही पल्कोंके तले, तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
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झाँझरिया उसकी छनक गयी चुनरी भी सर से सरक गयी मेरी नज़र उससे मिली तो उसकी नज़र शरमा के झुक गयी झाँझरिया हो उससे नज़र मिली बिच बाज़ार में दिल गया लुट नज़रों की तकरार में मुद मुद के वो देखे मुझे जैसे की वो खुद भी मचल गयी झाँझरिया किस्सा अजीब था पहली मुलाक़ात का आलम गज़ब हुवा मेरे दिल के हाल का इक पल मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी धड़कन रुक गयी झाँझरिया [ झाँझरिया उसकी छनक गयी ] Narender Kumar
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प्यार भरे दो शर्मीले नैन जिनसे मिला मेरे दिल को चैन कोई जाने न क्यूँ मुझसे शर्माए कैसे मुझे तडपाये दिल ये कहे गीत मैं तेरे गाऊँ तू ही सुने और मैं गाता जाऊं तू जो रहे साथ मेरे दुनिया को ठुकराऊँ तेरा दिल बहलाऊँ प्यार भरे दो शर्मीले नैन रूप तेरा कलियों को शर्माए कैसे कोई अपने दिल को बचाए पास है तू फिर भी जलूं कौन तुझे समझाए सावन बीता जाए प्यार भरे दो शर्मीले नैन डर है मुझे तुझसे बिछड़ न जाऊं खो के तुझे मिलने की राह न पाऊँ ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊँ मैं आंसू बन जाऊं प्यार भरे दो शर्मीले नैन - गोल्डेन कलेक्सन ऑफ़ मेहदी हसन से -
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अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ जी में आता है के जी भर के तुझे प्यार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ मैंने कब तुझसे ज़माने की ख़ुशी मांगी है एक हलकी सी मेरे लब ने हंसी मांगी है सामने तुझको बिठा कर तेरा दीदार करूँ जी में आता है के जी भर के तुझे प्यार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ साथ छूटे न कभी तेरा यह कसम ले लूं हर ख़ुशी दे के तुझे तेरे सनम ग़म ले लूं हाय मैं किस तरह से प्यार का इज़हार करूँ जी में आता है के जी भर के तुझे प्यार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ