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Showing posts from February, 2010
अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ जी में आता है के जी भर के तुझे प्यार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ मैंने कब तुझसे ज़माने की ख़ुशी मांगी है एक हलकी सी मेरे लब ने हंसी मांगी है सामने तुझको बिठा कर तेरा दीदार करूँ जी में आता है के जी भर के तुझे प्यार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ साथ छूटे न कभी तेरा यह कसम ले लूं हर ख़ुशी दे के तुझे तेरे सनम ग़म ले लूं हाय मैं किस तरह से प्यार का इज़हार करूँ जी में आता है के जी भर के तुझे प्यार करूँ अपनी आँखों में बसा कर कोई इकरार करूँ